Guest Corner RSS Feed
Subscribe Magazine on email:    

पुष्पाओं की तरफ से (व्यंग्य)

satire related to kakas popularity

राजेश खन्नाजी काका चले गये। श्रद्धांजलियां सभी की हैं।

पर मैं दिल पे हाथ रखकर कहता हूं कि दिल से, दिल के बहुत ही गहरे कोने से निकली आह से बिंधी हुई आत्मीय श्रद्धांजलियां सिर्फ उन आदरणीयाओं की हैं, जिनकी उम्र अभी करीब साठ से पैंसठ के बीच की है। ये आदरणीयाएं 1970 के करीब बीस पच्चीस साल की रहीं होंगी। इन्होने राजेश खन्ना का जादू सिर्फ सुना नहीं, देखा है। जीया है। पचास साल से ऊपर के पुरुषों की सारी श्रद्धांजलियों को सच्चा ना माना जाये, इनमें से अधिकतर काका से जलते थे।

किसी की बेटी पुष्पा काका की फोटू से शादी का प्लान रखती थी। किसी की बहन पुष्पा किताब में काका का फोटू रखती थी। किसी की बीबी काका को देखकर कल्पना करती थी कि हाय मेरा वाला भी ऐसा होता। काका धमाका थे, सुनने देखने से ताल्लुक रखते थे।

काका से पहले भी प्रेम था। काका से पहले देवदास दिलीप कुमार थे। ऐसे प्रेमी, जिनकी महानता के तले पारो दब सकती थीं। ऐसे प्रेमी, जिनसे चंद्रमुखी पूरे तौर पर सहज ना हो पाती थीं। अपनी महानता की खाईयों में चुप मौत यानी प्रेम का एक आयाम देवदास था।

देवदास पर रोया जा सकता था, पर काका के साथ डांस किया जा सकता था।

काका के बाद अमिताभ बच्चन जी के युग में प्रेम रहा फिल्मों में पर एक ड्यूटी की तरह। लव की वह ब्यूटी जा चुकी थी।

आदरणीयाओं के दुख में पूरा देश है, अच्छी बात है। पर आदरणीयाओं का जो दुख है, उसे वो ही समझ सकती हैं। मैं चार साल पहले शिमला जाने वाली टाय ट्रेन में कालका से जा रहा था। सामने सीट पर एक वृद्ध प्रोफेसर आदरणीया थीं। टाय ट्रेन चली, आदरणीया ने पूछा-जी ये वही ट्रेन है, ट्रेन ट्रेक के साथ वही सड़क है ना, जिसमें आराधना फिल्म के उस फेमस गीत की शूटिंग हुई थी-मेरे सपनों की रानी कब आयेगी तू।

साठ वर्षीय आदरणीया की आंखें ये सवाल पूछते हुए एकदम बीस वर्षीय बालिका जैसी हो गयीं। अंदाज कुछ यूं कि इस सवाल का जवाब हां में ही चाहिए।
मुझे मालूम था कि उस गीत की शूटिंग शिमला में नहीं, दार्जिलिंग में हुई थी, पर सच बोलने की हिम्मत ना पड़ी। मैंने कहा- जी बिलकुल ठीक यहीं पर हुई है।
कालका से शिमला के रास्ते में जैसे वह आदरणीया खो ही गयीं, वह पुष्पा बनीं सड़क ट्रेन,पहाड़, सड़क में जैसे काका के साथ ही थीं। काका का ये जलवा तब था, जब काका का जलवा बचा ही नहीं था।

सारी आदरणीयाओं और पुष्पाओं की तरफ से काका को श्रद्धांजलि।

पचास साल की उम्र से ज्यादा के पुरुषों की अधिकतर श्रद्धांजलियां फर्जी हैं, जैसा कि पहले बताया जा चुका है कि उनमें से अधिकतर काका से जलते थे

More from: GuestCorner
31969

ज्योतिष लेख

मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।

Holi 2020 (होली 2020) दिनांक और शुभ मुहूर्त तुला राशिफल 2020 - Tula Rashifal 2020 | तुला राशि 2020 सिंह राशिफल 2020 - Singh Rashifal 2020 | Singh Rashi 2020