गुलशन देवैया का नाम उतना बड़ा नहीं है, जितना काम है। दम मारो दम से लेकर शैतान तक में उनके अभिनय का जलवा दर्शक देख चुके हैं। अपने हर किरदार से अभिनय का अलग आयाम टटोलते गुलशन के हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में आने से लेकर आगे की योजनाओं पर बात की आशीष ने।
सवाल : सबसे पहले बात 'हेट स्टोरी' की। फिल्म का नाम था हेट स्टोरी लेकिन दर्शकों ने आपके रोल को काफी ‘’लव’’किया। फिल्म में आपका किरदार निगेटिव शेड्स लिए हुए था। इस फिल्म को करने की खास वजह क्या थी।
जवाब : मैंने बिलकुल भी ये नहीं सोचा था कि ये रोल निगेटिव है या पॉज़िटीव। मैंने सोचा अच्छा रोल है। स्क्रिप्ट में सबसे अच्छा रोल मुझे ऑफर किया गया और करने की चाहत थी तो मैंने लगा दिया सौ में से सौ। सच में मैंने बिलकुल नहीं सोचा था कि ये विलेन का रोल है। मेरे लिए ये एक क्रिएटिव प्रोसेस था जिसका मैंने खूब आनंद लिया।
सवाल : लेकिन गुलशन जब आप पाउली डाम के साथ काम करते हैं...वह इतनी बोल्ड और सेन्सुअस हीरोइन हैं..आपको डर नहीं लगा ओवरशेडो होने का ?
जवाब : नहीं। बिल्कुल नहीं। पाउली बहुत प्रोफेशनल एक्ट्रेस हैं। बहुत तैयार कलाकार हैं। फिल्म मेकिंग के बारें में बहुत जानती हैं वो। मुझसे ज़्यादा अनुभवी हैं। वह बंगाल में स्थापित कलाकार हैं। तो उनके साथ काम करके अच्छा लगा..ज़्यादा वक्त बरबाद नहीं करते थे हम लोग और धीरे-धीरे हम दोनों के बीच में एक कैमिस्ट्री डवलप हो गई। बहुत मस्ती करते थे हम।
सवाल : लेकिन शैतान में आपका निगेटिव कैरेक्टर। उसके बाद गर्ल इन यलो बूट्स में भी। दम मारो दम में भी ड्रग पैडलर का किरदार और उसके बाद हेट स्टोरी में फिर विलेन का किरदार...आपको टाइपकास्ट होने का डर नहीं लगता?
जवाब : नहीं। करता तो मैं निगेटिव रोल हूं लेकिन उसका मेरे करियर पर पॉजिटिवी असर पड़ रहा है। मैं ऐसा नहीं मानता कि मुझे टाइपकास्ट किया जा रहा है। ह्यूमन नेचर इज़ ग्रे। तो उन्ही ग्रे शेड्स को ढूंढने की कोशिश करता हूँ हर किरदार में। अगर कल को मैं कोई पॉज़िटिव किरदार भी करुंगा तो उसमें भी निगेटिव शेड्स ही ढूंढूगा। क्योंकि लोग उससे रिलेट कर पाते हैं..और हर किरदार मेरे लिए अलग है। हर डॉयरेक्टर का लैंग्वेज़ अलग है,जिस तरह से वो कहानी को बताना चाह रहा है वो अलग है तो उसमें अपने आप को ढालने की कोशिश करता हूँ। तो मेरे हिसाब से मैंने अब तक जो चार फिल्में की हैं..हर किरदार निगेटिव हैं, ग्रे शेड्स में हैं लेकिन हर किसी का प्रोसेस अलग अलग है..और मैंने अपने आप को अलग किस्म से एप्लाई किया है बतौर अभिनेता।
सवाल : लेकिन एक इंटरव्यू में भी आपने कहा था Its Good to Be Bad…इसके पीछे क्या राज़ है।
जवाब : हां हां Its Good to Be Bad..वही तो Its Good to Be Bad..क्योंकि मैं ऐसा Bad Boy बन रहा हूँ तो मेरे करियर के लिए तो ये Good ही हो रहा है ना।
सवाल : अपने आप को लकी नहीं मानते आप। ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा आपको।
जवाब : Fortune Favours the Brave and the patient..मतलब इंतज़ार करना ज़रूरी है। कुछ लोग बहुत उतावले हो जाते हैं अपने करियर को उड़ाने देने के लिए। मैं आया लेकिन ज्यादा ऑडिशन देने नहीं गया। अच्छे अवसर का इंतजार किया। दरअसल, एक साल मैं अनुराग कश्यप की द गर्ल इन यलो बूट्स की शूटिंग कर रहा था तो वहां से दूसरे मौके मिले मुझे।
सवाल : लेकिन आपकी पहली प्रदर्शित फिल्म थी दम मारो दम..जिसमें आप एक अलग ही अवतार में दिखाई दिए थे।
जवाब : दरअसल, आपको बताऊं कि उस फिल्म के लिए मैंने बहुत ही बेकार ऑडिशन दिया था। लेकिन किस्मत अच्छी थी कि रोहन सिप्पी को लगा कि इस बंदे में एनर्जी है। इसके साथ किया जा सकता है कुछ तो उन्होने वापस बुलाकर मुझे रोल ऑफर किया। अच्छा रोल था। मैंने तो बहुत रिहर्सल भी की। प्रतीक बब्बर और मैंने लगभग दो हफ्ते रिहर्सल की।
सवाल : लेकिन अब हमारे पाठकों की जानकारी के लिए ये बता दें कि गुलशन दस साल पहले फैशन इंडस्ट्री से जूड़े हुए थे..और बैंगलुरु के एक कॉलेज में पढ़ाते भी थे...फिर ये एक्टिंग का कीड़ा अचानक कहां से लग गया?
जवाब : एक्टिंग का कीड़ा तो बचपन से ही था। मैं स्कूल में भी थिएटर में शामिल था। काफी शो और ड्रामा में भाग लिया। स्कूल में कुछ भी फंक्शन हो तो प्रिंसिपल..टीचर्स बुलाकर बोलते थे मुझे गुलशन कल प्रोग्राम है कुछ सोच के आओ। तब से मुझे आदत है लाइव ऑडियन्स के सामने काम करने की। और फ़िल्मी कीड़ा मुझे शायद तब काटा, जब मैं सात-आठ साल का था। मेरे पिताजी हिंदी फ़िल्मों के गाने बहुत सुनते थे। उस वक्त टेप्स हुआ करते थे। कोई 100-200 टेप्स थे हमारे पास तो उनमें से एक टेप था यादों की बारात का। धर्मेंद्र साहब की फ़िल्म का। उसमें वो जो कवर पेज़ पर रामपुरी चाकू पकड़ के टाइट फिटिंग लैदर जैकेट पहने एकदम माचो लूक दे रहे थे धरम पाजी....बड़े ही हैण्डसम आदमी हैं..तो वो देखकर मैं भी खुद को उनकी जगह देखने लगा। वैसे, मैं उन दिनों शशि कपूर का फैन हुआ करता था लेकिन पता नहीं कैसे धरम पाजी की छवि कैसे दिल में बस गई। और हिन्दी फिल्मों का कीड़ा लग गया। थैंक्स धरम पा जी।
सवाल : अपने आप को बॉलीवुड के लिए कैसे तैयार किया?
जवाब : इतना तो मैंने सोच लिया था कि मुबंई जाना ही है। कम से कम एक-दो साल कोशिश करुंगा। मौका मिला तो ठीक नहीं तो वापस। बैंगलोर में अच्छा काम चल ही रहा था। सलाहकार के रुप में ठीक ठाक आमदनी थी। घर पर रहता था...मां-पिताजी घर चलाते थे। मुझ पर निर्भर नहीं थे। आज भी नहीं हैं..और वो मेरे लिए सबसे बड़ी बात है। मैंने कुछ पैसे बना लिए थे और 2006 में मैंने सोचा कि दो साल में तैयारी करके मुबंई चला जाउंगा..तो उसके लिए पैसे इकठ्ठा कर लिय़ा। बस यही तैयारी थी। मैं यहां किसी को जानता नहीं था...कुछ दोस्त थे मेरे जो थिएटर करते थे यहां। कुछ ऑडिशन भी दिए। किस्मत अच्छी थी अनुराग कश्यप ने मुझे देखा और उनको लगा कि इस बंदे में कोई बात है..तो ऐसे ही एक दफ़े एक होटल में डिनर के दौरान उन्होने कहा की एक फ़िल्म लिखी है उन्होंने और काल्की ने.गर्ल इन यलो बूट्स। और उसमें अनुराग ने मुझे ब्रेक दिया।
सवाल : बॉलीवुड में कैसी फ़िल्में करनी की ख्वाहिश है।
जवाब : ऐसी कोई खास ख्वाहिश नहीं है। मेरे पास जो काम आता है तो मैं सोचता हूं कि करना है या नहीं। उसके बाद मैं निर्णय लेता हूँ।
सवाल : कोई ड्रीम रोल नहीं है।
जवाब : ड्रीम तो यही था कि मुझे एक्टर बनना है। मुझे इस इंडस्ट्री में कदम ऱखना था मैंने रख लिय़ा। अब मुझे बहुत आगे तक जाना है तो वन स्टेप एट ए टाईम लेता जा रहा हूँ मंज़िल की तरफ।
सवाल: आप पर अनुराग कश्यप गैंग में शामिल होने का इल्जाम लगता है।
जवाब: हां कुछ लोग बोलते हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। बतौर प्रोडयूसर मैंने अनुराग के साथ शैतान और डॉयरेक्टर के तौर पर गर्ल इन यलो बूट्स में काम किया। उनकी देवडी में उनके सहायक थे वसंत वाला। उनके साथ मैंने पैडलर्स पूरी की है। तो एक तालमेल है उनके और मेरे बीच में। उनकी प्रोडक्शन कंपनी और उनके असिस्टेंट्स के साथ भी मेरा तालमेल है। वो मुझे समझते हैं और मैं उन्हें समझता हूं तो एक कम्फर्ट ज़ोन है। आप इसको कैंप कहते हैं तो कह सकते हैं।
सवाल : किस हिरोइन के साथ काम करना चाहते हैं।
जवाब : सभी के साथ क्योंकि सभी का अंदाज अलग है। और उनके साथ काम करने का अनुभव अलग होगा।
Know when the festival of colors, Holi, is being observed in 2020 and read its mythological significance. Find out Holi puja muhurat and rituals to follow.
मकर संक्रांति 2020 में 15 जनवरी को पूरे भारत वर्ष में मनाया जाएगा। जानें इस त्योहार का धार्मिक महत्व, मान्यताएं और इसे मनाने का तरीका।