पंजाब की औद्योगिक जीवन रेखा लुधियाना में शनिवार के दिन भी हिंसा का दौर जारी रहा। परन्तु इस बार कारण रहा, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज जी का दो-दिवसीय सत्संग कार्यक्रम। पुलिस एवं कट्टरपंथी संस्थाओं के बीच भड़की गरमा-गरमी का केन्द्र बिंदु रहा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान। इस पूरे प्रकरण पर हिन्दीलोक ने बात की संस्थान के प्रवक्ता स्वामी विशालानंद जी से।
सवाल- स्वामी जी, शनिवार को सिख कट्टरपंथी संस्थाओं ने पुलिस पर पथराव किया तथा दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के खिलाफ नारे भी लगाए । इसकी क्या वजह थी?
जवाब- ये मुठ्ठी भर असामाजिक तत्वों के कारण हुआ है, जिनका ध्येय ही समाज में हिंसा एवं माहौल पैदा करना है। आम लोगों को इससे कोई लेना देना नहीं है।
सवाल- लेकिन, उनका तो ये मानना है कि आशुतोष महाराज सिखों के धर्मग्रंथ श्री गुरुग्रंथ साहिब को तोड़मरोड़ कर लोगों के सामने प्रस्तुत कर उन्हें बरगलाते हैं?
जवाब- आप मुझे बताहए कि यदि यह सत्य होता तो क्या आज हमारे साथ पंजाब में 20-21 लाख अनुयायी जुडे़ हुए होते? क्या उन्हें अपने धर्म का बोध नहीं है? ये बेबुनियाद आरोप है।
सवाल- आप पर यह भी आरोप लगा है कि आप लोग पंजाब तथा उनके निवासियों का हित नहीं चाहते?
जवाब- पंजाब में देशभर के सबसे गैर कानूनी शराब के ठेके हैं। आज पंजाब का कोई भी गांव नशे की चपेट से अछूता नहीं है। तो ये लोग जो कल पंजाब के गौरवशाली अतीत को बचाने के लिए गला फाड़-फाड़ कर चिल्ला रहे थें। इन्होंने पंजाब के हित में इस दिशा में क्या कदम उठाए हैं? वह दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ही था, जिसने नशा उन्मूलन कार्यक्रम को पंजाब के सबसे पिछडे़ हुए ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँचाया तथा इसमें सपफल भी रहा है। फिर हिन न चाहने की भी कोई वजह होनी चाहिए। आरोप लगाने वाले ये बताएं।
सवाल- और जो अंगुलियाँ आपके साहित्य की तरपफ उठ रही हैं, उनका क्या?
जवाब- ये आरोप हम पर मात्रा आज से ही नहीं लगा, बल्कि गत् 25 वर्षों से लगता आ रहा है, और इस अंतराल में हमनें अपना सारा साहित्य अकाल तख्त भेजा था, तथा उन लोगों ने उसे पढ़ा परन्तु उसमें लेशमात्रा भी कोई ऐसी बात न ढूँढ़ पाए जिससे उन्हें या उनकी धर्मिक भावनाओं को कोई ठेस पहुंची हो।
सवाल- और वह जो कहते हैं कि दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान सिखों का धर्म परिवर्तन कर रहा है?
जवाब- ये सब बातें बेबुनियाद हैं, धर्म परिवर्तन वो कर सकतें है जिनके पास लोगों को ललचाने के लिए रूपयों का अंबार हो, लेकिन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान तो पूर्णतः निःस्वार्थ भाव से कार्यकर्ताओं पर निर्भर है। और 25 साल जो सिख हमसे जुडे़ हुए है, वे तो आज भी सिख ही हैं, फिर से बात करने का तो कोई कारण ही उनके पास नहीं है।
सवाल- पुलिस व सरकार इस पूरे मामले में आपका पक्ष लेती हुई दिखाई दी, इसका कारण?
जवाब- हमनें सत्संग का यह पूरा कार्यक्रम उनकी अनुमति लेकर ही आयोजित किया था, कार्यक्रम पहले तीन दिन का था, पहले दिन की शोभायात्रा हमनें उनकी आज्ञा मान कर ही रद्द की तो हमें समर्थन देना बिल्कुल जायज है।
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