कलर्स चैनल पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय रियलिटी शो इंडिजा गॉट टैलेंट में इस बार सनी लियोन भी एक निर्णायक होंगी। यह ख़बर मेरे लिए न केवल चौकाने वाली है बल्कि शर्मसार करने वाली भी। मुझे सनी लियोन के पोर्न स्टार होने से आपत्ति नहीं है, मुझे चैनल की उस सोच से आपत्ति है,जो टीआरपी के लिए किसी भी हद तक जाने को बेताब हैं। किसी भी कार्यक्रम में प्रतिभाओं को परखने और तराशने के लिए निर्णायक मंडल का गुणी होना अवश्यमभावी है। मेरा सीधा सवाल यही है कि क्या सनी लियोन इस पैमाने पर खरी उतरती हैं? क्या कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाली प्रतिभाएं अपने इस निर्णायक के प्रति वह आदरभाव दर्शा सकते हैं, जो एक गुरु को मिलना चाहिए? सनी लियोन पोर्न फिल्मों की स्टार हैं, और उनकी उम्र व अनुभव का दायरा इसी क्षेत्र में सिमटा रहा है। तो बड़ा सवाल यही है कि अलग अलग क्षेत्रों से इंडियाज गॉट टैलेंट में आने वाले हुनरमंद लोगों को वह किस काबिलियत के आधार पर परखेंगी?
गुरु की महिमा अनंत है। किसी भी शो में गुरु की अपनी भूमिका है। लेकिन, गुरु के लिए गुरु का मान पाना और शिष्य को गुरु को मान देना दोनों ही आसान नहीं है। इस संबंध में मेरा एक अद्भुत अनुभव है। रवीन्द्र नाथ टैगोर के 150वें जन्मसाल के अवसर पर देश भर में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे थे। उसी वक्त मुंबई के दादर की रवीन्द्र नाट्य मंदिर में कथा संस्था ने भी एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में रितुपर्णा सेनगुप्त जैसी नृत्यांगना भी अपना डांस ग्रुप लेकर पहुंचीं थी। इसी दौरान मुझे प्रतिष्ठित नृत्यांगना और अभिनेत्री सुधा चंद्रन को कोरियोग्राफ करने का अवसर मिला। मैंने उनके लिए रवीन्द्र नाथ टैगोर का चित्रांगदा डांस ड्रामा नए अंदाज में पेश किया। चूंकि, कार्यक्रम की रिहर्सल के लिए ज्यादा दिन नहीं बचे थे,लिहाजा आयोजकों का कहना था कि मैं ज्यादा प्रयोग न करुं। लेकिन, जब मैंने अपने विचार सुधाजी को बताए तो उन्होंने मेरी कोशिशों को अपनी मेहनत में ढालने में कतई हिचक नहीं दिखायी। सुधा चंद्रन के इस कार्यक्रम का कांसेप्ट और कोरियोग्राफी मैंने की। अर्जुन और चित्रागंदा की प्रेम कहानी को मैंने इस तरह ढाला कि बारिश कैसे चित्रांगदा के चित्त को परिवर्तित करती है। अर्जुन से प्रेम से पहले और बाद में वर्षा ऋतु ने चित्रांगदा के अनुभव को किस तरह प्रभावित किया। सेमी-क्लासिकल फॉर्मेट वाले इस डांसड्रामा में जान फूंकने के लिए सुधा जी ने जान लगा दी।
कार्यक्रम बहुत सफल रहा। लेकिन, बड़ी बात कार्यक्रम की सफलता नहीं बल्कि इस कार्यक्रम से जुड़ी एक बात है। वह यह कि कार्यक्रम के लिए मंच पर जाते वक्त अचानक सुधा चंद्रन जी मेरे पास आईं और मुझे पारंपरिक अंदाज में प्रणाम कर आशीर्वाद माँगा। मैं सकपका गई। मैंने उनसे कहा, दीदी आप हमारे लिए आदर्श हैं। आपको पढ़ते-देखते हम बड़े हुए हैं। यह क्या कर रही है आप। आप मुझे शर्मिंदा मत कीजिए। तो उन्होंने कहा, नहीं। तुमने इस कार्यक्रम के लिए मुझे सिखाया है। सारा कांसेप्ट तुम्हारा है और मैं सिर्फ तुम्हारे दिए निर्देशों को मंच पर पेश करने जा रही हूं। इस कार्यक्रम के लिए तुम ही मेरी गुरु हो और गुरु का आशीर्वाद लेना जरुरी है।
मैं हतप्रभ थी। लेकिन, एक सच्चे कलाकार के मन को समझ भी रही थी। सुधाजी ने मेरे 'गुरु' होने की अहमियत को सार्थकता प्रदान की थी। लेकिन, सनी लियोन के निर्णायक या गुरु बनने की खबर के बीच मैं असमंजस में हूं कि खुद कैसे रिएक्ट करुं। हम अपने बच्चों के सामने किस गुरु को महिमा दे रहे हैं। हमारे बच्चे टीवी देखते हुए पूछेंगे कि सनी लियोन क्या करती हैं और यह किस काबिलियत के आधार पर जज बनी हैं तो हम क्या जवाब देंगे?