बीते दो दशकों में अजय देवगन ने हिन्दी फिल्म जगत में काफी लंबा सफर तय किया है। इस दौरान उनके अभिनय में काफी निखार आया है। 'जख्म' और 'शहीद भगत सिंह' के लिए अपने संजीदा अभिनय की बदौलत दो बार नेशनल अवार्ड पा चुके अजय अब पहली बार एनिमेशन मूवी 'टूनपुर का सुपरहीरो' में अपना जौहर आजमाने जा रहे है। एक्शन हो या कॉमेडी दोनो ही रोल में अजय लाजवाब हैं। पिछले एक साल में वे अभिनय के क्षेत्र में काफी प्रयोग करते नजर आये हैं। 'गोलमाल-थ्री', 'ऑल द बेस्ट' और 'अतिथि तुम कब जाओगे' में गुदगुदाते नजर आये हैं, तो 'राजनीति', 'आक्रोश' और 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई' में लोगों ने उन्हें गंभीर भूमिकाओं में भी देखा और पसंद किया। और अब अजय पहली बार थ्रीडी एनिमेशन फिल्म लेकर आ रहे हैं। भारतेश द्विवेदी की अजय से खास बातचीत...
सबसे पहले अपनी इस फिल्म के बारे में कुछ बताइये...
'टूनपुर का सुपरहीरो' एक लाइव थ्रीडी एनिमेशन फिल्म है। इसमें कार्टून और जीवित किरदार सभी एक साथ चलते हैं। अब फिल्म की कहानी क्या है यह जानने के लिये तो आपको थियेटर तक आना होगा।
चलिये, आप कहानी मत बताइये, लेकिन एक बात बताइये एक कार्टून फिल्म में आप क्या कर रहे हैं?
आप घुमा फिराकर मुझे फंसाने की कोशिश कर रहे हैं (हंसते हुये)... । दरअसल, इस फिल्म में मैने एक सुपरहीरो की भूमिका निभाई है और मेरे अपोजिट में काजोल ने मेरा साथ दिया है। इस फिल्म में मैने कार्टून चरित्रों के साथ बच्चों के लिये एक फन लविंग फिल्म बनायी है।
तो इसमें बच्चों के लिये सिर्फ मज़ा है...
जवाब- जी, ऐसा नहीं है। मजे और रोमांच के साथ हमने इस फिल्म के जरिये बच्चों को सड़क सुरक्षा के बारे में बताया है। हां, लेकिन हम टीचर नहीं बने हैं। इसके लिये हमने दोस्ताना रवैया अपनाया है।
अचानक एक्शन और कॉमेडी के बीच सुपरहीरो बनने का ख्याल कहां से आया ?
ऐसा नहीं है कि यह ख्याल मेरे मन में अचानक ही आया। इस तरह की फिल्म बनाने का विचार काफी समय से था। मेरी बेटी 'न्यासा' को कार्टून और सुपरहीरो बहुत पसंद हैं, वो चाहती थी कि मैं इस तरह की कोई फिल्म बनाऊं। लेकिन, वक्त की कमी के चलते ऐसा हो नहीं पाया, जैसे ही मौका मिला मैं इस काम में जुट गया।
क्या बचपन में आपको कार्टून पसंद थे?
जी, अपने बचपन में मुझे कार्टून फिल्में और सीरियल्स देखने का बहुत शौंक था। लेकिन, मेरी पहली पसंद सुपरमैन था। (हंसते हुये)... आपको मेरी एक्शन फिल्में देखकर नहीं लगता।
इससे पहले भी आप बच्चों के लिए इस तरह की फिल्म 'राजू चाचा' ला चुके है जो पूरी तरह सफल नही रही...
जी बिल्कुल राजू चाचा मेरे प्रोडक्शन की फिल्म थी। उसकी असफलता का कारण उसका बजट था। उस फिल्म का बजट काफी बड़ा था जिसके चलते फिल्म अपनी लागत नही निकाल पायी। पर यह फिल्म उससे बिल्कुल अलग है और मेरा ये मानना है कि ये फिल्म बच्चों की खूब पसंद आयेगी।
क्या आपके बच्चों ने भी यह फिल्म देखी है?
जी बिल्कुल मैने यह फिल्म अपनी बेटी को दिखाई है और उसे फिल्म काफी पसंद आई। अपने बच्चों के मुंह से अपनी तारीफ सुनना काफी अच्छा लगता है।
सुना है कि आपकी फिल्म और शाहरुख की रॉ वन के बीच काफी समानतायें है...
पता नही ये खबर कहां से निकली है। दोनो ही फिल्में अभी रिलीज नही हुयी हैं, फिर पता नही समानता की बात कहां से आ जाती है। मुझे रॉ वन के बारे में कोई आइडिया नही है। मुझे लगता है जिसने यह स्टोरी लिखी है, उसने या तो दोनों फिल्में देखी हैं या फिर कोई भी नहीं।
क्रिसमस पर फिल्म रिलीज करने की कोई ख़ास वजह?
मुस्कुराते हुए... जी, बस यह समझ लीजिये कि हम सांता क्लॉज बनकर आ रहे हैं। फेस्टिव सीजन है और इस समय बच्चों को जरूरत होती है कुछ फन की। इसलिए हमने सोचा कि क्यों ना बच्चों को इस क्रिसमस पर मस्ती और फन भरा तोहफा दिया जाए।
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